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ईश्वर प्रभू की कृपा

 आज ईश्वर प्रभू की कृपा से एक लेख लिख रहा हूँ आप सभी से विनम्र आग्रह है कि आप सभी इसे अंत तक ध्यान पूर्वं अवश्य ही पढ़े और अच्छा लगे तब अपने सगे संबंधियों मे शेयर भी करे एवं कमेन्ट भी करें तो आइए चलते है अपने लेख पर .. 

           ईश्वर प्रभु जब हमे कुछ देना चाहते है, कुछ समझाना चाहते हैं ,या कुछ सिखाना चाहते है ,हमसे अपना कुछ कार्य कराना चाहते है तब वह हमारी भयंकर परीक्षा लेते है जिसकी वजह से हमारा साहस टूटने लगता है मन चूर चूर होने लगता है प्रभु हमे ऐसे ऐसे गड्ढे में डालते है कि हम पूरी तरह से बिखरने पर आ जाते है परंतु हमे हारना नही है किसी भी परिस्थिति मे नहीं ,क्यों कि यह परीक्षा ईश्वर प्रभु की परीक्षा है तो हमे समझना ही होगा की यह बहुत ही कठिन परीक्षा तो होगी ही । क्यों कि ईश्वर प्रभु द्वारा इस ब्रम्हांड के अरबों लोगों में से परीक्षा हेतु हमको चुना गया है । वास्त्व में ईश्वर प्रभु हमे कुछ कार्य सौंपना चाहते है और वह कार्य हमे सौंपने से पहले हमे जांचना चाहते है कि क्या वह कार्य जो हम किसी को सौंपने जा रहे है उसको उसके आखिरी अंजाम तक  हम ले जा पाएंगे की नही ,पूर्ण कर पाएंगे की नही ,यह तो बहुत ही स्वाभाविक सी प्रक्रिया है  यह तो सामान्य मनुष्य भी करता है किसी भी कार्य को किसी को देने से पूर्व वह संतुष्ट होना ही चाहता  की उसके द्वारा दिया कार्य वह कर पाएगा की नहीं |जिसे हमे अच्छे से समझना ही होगा ।वास्तव में ईश्वर हमे इन भयंकर कठिनाइयों में इसीलिए डालते है ताकि हमारे अंदर की जो बुराइयां है वह पूर्णतः नष्ट हो जाए और इन बुराइयों  जैसे काम,क्रोध,लोभ,मोह,ईर्ष्या,द्वेष को पूर्णतः हमारे अंदर से नष्ट करने हेतु ईश्वर प्रभु द्वारा हमे इतनी विपरीत परिस्थिति में जानबूझकर कर डाला जाता है ताकि हमारे अंदर की इन बुराइयों को वह नाश कर सके क्यों कि ईश्वर प्रभु हमे अब नया बनाना चाहते है इसीलिए हमे अत्यंत कठिनाइयों में डाल रहते है एक परेशानी खत्म नहीं होती की ईश्वर प्रभु हमे दूसरी भयंकर वाली परेशानी डाल देते है फिर उसके एक के बाद एक अन्य परेशानी में डालते रहते है ऐसी प्रक्रिया ईश्वर प्रभु द्वारा तब तक की जाती है जब तक की हमारे मन से हमारे subconsious mind से पुरानी खराब आदतें ,खराब व्यवहार पूर्णतः नष्ट नही हो जाते ,जब तक की हम नए नही बन जाते।और जिस दिन हमारे अंतर्मन की सभी बुराइयां पूर्णतः नष्ट हो जाती है ईश्वर प्रभु द्वारा हमे वह कार्य सौप दिया जाता है जिसके लिये उनके द्वारा यह परीक्षा ली जा रही थी और  ईश्वर प्रभु द्वारा वह सारी व्यवस्था हमारे आस पास उपलब्ध करा दी जाती है जिससे की उनके द्वारा दिया गया कार्य पूर्णतः सिद्ध हो सके ,जिसके करने से हमे परम आनंद की अनुभूति होने लगती है और हमारा मन अनन्य सुख  का अनुभव करने लगता है। और हमे ईश्वर प्रभु मे अप्रतिम विश्वास हो जाता है और हमे लगता है  ईश्वर प्रभु कितने दयालू है कितने कृपालु है हमारी ईश्वर प्रभु मे अनन्य  भक्ति और आस्था हो जाती है  जिसके कारण हम हमारे पूर्व के सारे कष्ट को भूल जाते है और हमारे सारे कार्य भी एक एक करके व्यवस्थित होने लगते है |

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